सय्यदा शान-ए-मेराज के शेर
फिर ओढ़ कर चली है हवस इश्क़ की रिदा
फिर बढ़ गए फ़रेब के इम्काँ नए नए
शह दिल को मिल गई है फिर उन की निगाह से
फिर शौक़ ढूँढता है दिल-ओ-जाँ नए नए
-
टैग : दिल
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड