aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
दिवाकर राही, रघुवीर सरन
1914-1968
हिंदी के जाने-माने प्रगतिशील कविजिन्होंने उर्दूग़ज़ल-गोई में भी शाेहरत हासिल की। मानवतावादी मूल्यों और सांप्रदायिक समन्वय, सदभावके पक्षधर। पेशे से वकील थे। राजनीतिमें भी सक्रिय रहे। ज़ोरदार वक्ताभी थे।
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