aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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लेखक : ज़फ़र इक़बाल

प्रकाशक : वाली आसी

प्रकाशन वर्ष : 1978

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : शाइरी

उप श्रेणियां : ग़ज़ल

पृष्ठ : 134

सहयोगी : मज़हर इमाम

aab-e-rawan

पुस्तक: परिचय

"آب روں"ظفر اقبال کا پہلا مجموعہ کلام ہے جو 1962ء میں شائع ہوا جس کے شائع ہوتے ہی ظفر اقبال اردو کے صف اول کے شعرأ میں شمار ہونے لگے.انہوں نے غزل کے پیرائے میں فنی اور موضوعاتی سطح پر روایت شکنی کے حوالے سے اپنی ایک الگ اور بھرپور پہچان بنائی۔ اُن کے پہلے شعری مجموعے آب رواں کو عوام اور خواص، ہردو حلقوں میں بے حد پزیرائی ملی، اس مجموعہ کےمنظر عام پر آنے کے بعد لوگوں کو فکر کی تازگی، زبان پر قدرت اور عروض و آہنگ میں بےتکلفی کا اندازہ ہوتا ہے.

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लेखक: परिचय

ज़फ़र इक़बाल का जन्म 1933 को लाहोर के शहर ओकाड़ा में हुआ। ज़फ़र इक़बाल आधुनिकतावादी उर्दू शाइ’री में, ग़ज़लकारी की एक नई शैली और परंपरा स्थापित करने वाले प्रमुखतम शाइ’र हैं, जिन्होंने ग़ज़ल को एक चुनौती के तौर पर धारण किया और इस आग के दरिया में से और भी रौशन हो कर निकले। उन्होंने क्लासिकी ग़ज़ल की मिट्टी को अपनी रचनात्मक प्रतिभा के चाक पर चढ़ा कर, अभिव्यक्ति और तकनीक के नए साँचे बनाए और एक नए भाव-संसार की संभावनाओं की ख़बर दी। भाषा की सरहदें फैलाने के प्रयत्न किए। शब्दों को उनके शब्दकोषीय और परिचित अर्थों से हटा कर, नए और अप्रत्याशित संदर्भों में साक्रिय करके एक नया अर्थ-बोध हासिल करने की कोशिश भी उनका एक महत्वपूर्ण योगदान है। ज़फ़र इक़बाल की एक बड़ी उपलब्धि ये भी है कि तमामतर प्रयोगवादी नए-पन के बावजूद उनके शेर कभी बेमज़ा नहीं होते और बार बार एक नए आश्चर्य-जगत की सैर कराते हैं।

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