Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : शारिक़ कैफ़ी

प्रकाशन वर्ष : 1989

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : शाइरी

उप श्रेणियां : काव्य संग्रह

पृष्ठ : 146

सहयोगी : अंजुमन तरक़्क़ी उर्दू (हिन्द), देहली

अाम सा रद्द-ए-अमल
For any query/comment related to this ebook, please contact us at haidar.ali@rekhta.org

लेखक: परिचय

शारिक़ कैफ़ी (सय्यद शारिक़ हुसैन) बरेली, उत्तर प्रदेश में पहली जून 1961 को पैदा हुए। वहीं बी.एस.सी. और एम.ए. (उर्दू) तक शिक्षा प्राप्त की। उनके पिता कैफ़ी वजदानी (सय्यद रिफ़ाक़त हुसैन) मशहूर शाइ’र थे, इस तरह शाइ’री उन्हें विरासत में हासिल हुई। उनकी ग़ज़लों का पहला मज्मूआ’ ‘आ’म सा रद्द-ए-अ’मल’ 1989 में छपा। इस के बा’द, 2008 में दूसरा ग़ज़ल-संग्रह ‘यहाँ तक रौशनी आती कहाँ थी’ और 2010 में नज़्मों का मज्मूआ ‘अपने तमाशे का टिकट’ प्रकाशित हुआ। इन दिनों बरेली ही में रहते हैं।

.....और पढ़िए
For any query/comment related to this ebook, please contact us at haidar.ali@rekhta.org

लेखक की अन्य पुस्तकें

लेखक की अन्य पुस्तकें यहाँ पढ़ें।

पूरा देखिए

लोकप्रिय और ट्रेंडिंग

सबसे लोकप्रिय और ट्रेंडिंग उर्दू पुस्तकों का पता लगाएँ।

पूरा देखिए

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

GET YOUR PASS
बोलिए