aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
यह किताब "आठ आने की मिठास" मशहूर उर्दू फिक्शन निगार अब्बास खान के मुंतख़ब अफ़सानों का मजमुआ है। इन अफ़सानों को उनके रिवायती क़िस्सागोई के अंदाज़, मज़बूत प्लॉट, तफसीली मंज़र निगारी और इस्लाह-ए-मुआशरा व इंसानी नफ़सियात पर तवज्जो मरकूज़ करने के लिए सराहा जाता है। यह किताब उनके मुंतख़ब कामों का एक मजमुआ पेश करती है, जो उनके मुनफ़रिद अफ़सानवी अंदाज़ की झलक दिखाता है जो जदीद तजरबाती तकनीकों से गुरेज़ करते हुए कहानी के जौहर पर ज़ोर देता है।
Jashn-e-Rekhta 10th Edition | 5-6-7 December Get Tickets Here