aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
फ़ारिग़ बुखारी का नाम अहमद शाह था. 11 नवम्बर 1917 को पेशावर में पैदा हुए. इंटरमीडिएट तक शिक्षा प्राप्त करने के बाद प्राच्य भाषाओं के कई इम्तहानात पास किये. फ़ारिग़ बुखारी वैचारिक स्तर पर प्रगतिशील आंदोलन से जुड़े हुए थे लेकिन इस वैचारिक सम्बद्धता ने उनकी रचनात्मक व्यापकता को कम नहीं होने दिया. वह विषय, भाषा और शे’री रचनाओं में नये-नये प्रयोग करते रहे. उनका एक विशिष्ट प्रयोग ग़ज़ल के फॉर्म में है. उन्होंने अपने काव्य संग्रह ‘ग़ज़लिया’ में रूप और तकनीक को एक नये अंदाज़ में प्रयोग किया है.
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
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