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लेखक : हुरमतुल इकराम

संस्करण संख्या : 001

प्रकाशक : हलक़ा-ए-तरवीज अदब, रामबाग़ मिर्ज़ापुर, यू.पी.

मूल : इलाहाबाद, भारत

प्रकाशन वर्ष : 1977

भाषा : उर्दू

श्रेणियाँ : शाइरी

पृष्ठ : 190

सहयोगी : ख़ुदा बख़्श लाइब्रेरी, पटना

jalwa-e-numu
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लेखक: परिचय

‘कल्कत्ता एक रुबाब’ नज़्म इतनी मशहूर हुई कि लोग उसी नज़्म की वजह से हुरमतुल इकराम को जानने लगे। यह नज़्म कलकत्ता से हुरमतुल इकराम की मुहब्बत और कलकत्ता को एक नयी और सृजनात्मक दृष्टि से देखने का सुबूत है। हुरमतुल इकराम ने और भी नज़्में कहीं और गज़लें भी लेकिन यह नज़्म उनकी पहचान का संदर्भ बन गयी।

हुरमतुल इकराम का अस्ल नाम सैयद अंसार हुसैन था, वतन आज़मगढ़। उनकी पैदाइश मिर्ज़ापुर में 2 दिसम्बर 1928 को हुई। हुरमतुल इकराम की ज़्यादातर जिंदगी कलकत्ते में गुज़री, इसी लिए कल्कते की ज़मीन के रंग उनकी शायरी में बस गये। उनकी शायरी के कई संग्रह प्रकाशित हुए। ‘उजालों के गीत’, ‘शहपर’, ‘जवा-ए-नुमु’ और ‘शाख़-ए-आगही’, उल्लेखीय हैं। 6 जनवरी 1983 को उनका देहांत हुआ

 

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