aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
क़लक़, ख़्वाजा असद अ’ली ख़ाँ (लगभग 1820-1879)अवध के आख़िरी नवाब वाजिद अ’ली शाह के ख़ास मुसाहिब (दरबारी) थे और ‘आफ़्ताबुद्दौला शम्स जंग बहादुर’ का ख़िताब मिला हुआ था। नवाब को अंग्रेज़ों ने विर्वासित करके कलकत्ता भेजा तो ‘क़लक़’ भी उनके साथ वहीं चले गए। बा’द में रामपुर आ रहे और वहीं देहाँत हुआ।