aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
जुर्म मुहम्दाबादी एक वाक्पटु शायर, अफ़साना और ड्रामानिगार थे. उन्होंने साहित्यिक और सामाजिक विषयों पर आलेख भी लिखे. अरबी व फ़ारसी की आरम्भिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद शिक्षा का क्रम टूट गया और आजीविका की तलाश में कलकत्ता चले गये. जुर्म का नाम अबुलहसन था. 04 फ़रवरी 1903 को ज़िला आज़मगढ़ के क़स्बा मुहमदाबाद में पैदा हुए. आरज़ू लखनवी से कलाम की त्रुटियाँ ठीक कराईं. जुर्म मुहमदाबादी के काव्य संग्रह ‘शोला-ए-रंगीं’, ‘बहारे अज्म’, ‘तीरे नज़र’ और ‘फ़िरदौस-ए-नज़र’ प्रकाशित हुए.
15 जनवरी 1980 को मुहमदाबाद में इन्तेक़ाल हुआ.
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