aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
हफ़ीज़ ताएब 14 फ़रवरी 1931 को पेशावर के एक मज़हबी घराने में पैदा हुए. घर के मज़हबी माहौल के असर से उनकी सारी रचनाएँ नात-ओ-हम्द और मंक़ब्तनिगारी में हैं. उन्होंने उर्दू,पंजाबी दोनों ज़बान में नातें कहीँ. हफ़ीज़ की नातों का एक कमाल यह भी है कि उन्होंने ग़ज़ल की विशेष शब्दावलियों को नात की विधा में बड़ी ख़ूबसूरती से बरता. हुकूमते पाकिस्तान ने उनकी सेवाओं को स्वीकार करते हुए उन्हें सदारती तमग़ा बराए हुस्ने कारकर्दगी से भी नावाज़ा. हफ़ीज़ ताएब का 12 जून 2004 को लाहौर में देहावसान हुआ.
हफ़ीज़ ताएब के कई काव्य संग्रह प्रकाशित हुए. 2005 में उनका समग्र ‘कुल्लियात-ए- हफ़ीज़ ताएब’ के नाम से प्रकाशित हुआ.
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