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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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लेखक: परिचय

सय्यद इफ़्तेख़ार हुसैन इफ़्तेख़ार आज़मी की गिनती प्रसिद्ध प्रगतिवादी शाइरों में होती है लेकिन उन्होंने प्रगतिवादी विचारधारा के दबाव को अपनी शाइरी और रचनात्मक अनुभवों पर हावी नहीं होने दिया. 
इफ़्तेख़ार आज़मी की पैदाइश 1935 में इमलीपुर आज़मगढ़ में हुई. उनका खानदान मज़हबी परम्पराओ व विचारधाराओं के मानने वाले थे,उनके पिता मौलाना सय्यद अब्दुल हमीद मुंबई के मस्जिद में पेश इमाम थे लेकिन उनकी शख्सियत पर उस माहौल का असर नहीं पड़ा,वह अपनी ज़िन्दगी और शाइरी में मार्क्सवादी विचारधारा  को जीते रहे. इफ़्तेख़ार आज़मी ने आरंभ में कैफ़ी आज़मी से अशुद्धियाँ ठीक कराई जो उनके हमवतन होने के साथ साथ उनके नज़दीकी दोस्त भी थे. उनका काव्य संग्रह ‘कुंन’ के नाम से प्रकाशित हुआ. दूसरा संग्रह ‘अनकही’  के नाम से संकलित किया लेकिन 12 मार्च 1977 को वह इस दुनिया से कूच कर गये और यह संग्रह उनकी ज़िन्दगी में प्रकाशित न हो सका.

 

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