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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : मुर्तज़ा बरलास

प्रकाशक : सुलतान रशक

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : शाइरी

उप श्रेणियां : काव्य संग्रह

पृष्ठ : 132

सहयोगी : जामिया हमदर्द, देहली

tisha-e-karb
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लेखक: परिचय

नाम मुर्तज़ा बेग बरलास और तख़ल्लुस बरलास है। 30 जनवरी 1934 को रियासत रामपुर में पैदा हुए। प्रारंभिक शिक्षा गवर्नमेंट कॉलेज, मुरादाबाद से प्राप्त की। एम.एस.सी. (गणित) 1955 में आगरा विश्वविद्यालय से की। सितंबर 1956 में पाकिस्तान चले गए। 1960 में पंजाब सिविल सेवा में चुने गए और विभिन्न ज़िलों में मजिस्ट्रेट और सहायक कमिश्नर के रूप में कार्य किया। 1976 में पाकिस्तान आर्ट्स काउंसिल, लाहौर (अल-हमरा) के रेज़िडेंट डायरेक्टर नियुक्त हुए। बाद में फिर से प्रांतीय सिविल सेवा में आए और वहाड़ी, खानिवाल और बहावलपुर में डिप्टी कमिश्नर और कमिश्नर के पद पर रहे। शायरी में उन्होंने किसी से विधिवत इस्लाह नहीं ली। उनकी किताबों के नाम इस प्रकार हैं: “तेशा-ए-कर्ब”, “इज़्तिरार”, “गिरह-ए-नीमबाज़”, “इर्तिआश” (शायरी-संग्रह), “अपने ज़ख़्मों का लहू” (सरगुज़श्त)।


मुर्तज़ा बरलास उर्दू शायरी में हमारे दौर का एक अहम नाम है। उनकी ग़ज़ल हर दौर की ग़ज़ल है। उनके शब्दों में एक तहज़ीब और शाइस्तगी है। उनकी शायरी अतीत और भविष्य का संगम है, जहाँ हम दोनों युगों को अपनी-अपनी शैली में चलते और बात करते हुए देख सकते हैं। उनकी शायरी पढ़ते हुए एक जज़्बे और हौसले की फ़ज़ा महसूस की जा सकती है। ख़ुद शायर भी सच्चा, खरा और हौसला-मन्द है। विभिन्न पदों पर रहते हुए भी उन्होंने जो देखा है, वह लिखा है, और यह करना आसान नहीं होता।

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