aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
"ज़ेबुन्निसा", लाहौर से प्रकाशित होने वाली एक प्रतिष्ठित और प्रभावशाली उर्दू साहित्यिक और महिला केंद्रित पत्रिका थी, जो विशेष रूप से 1950 और 1960 के दशकों में प्रमुख रूप से सामने आई। इस पत्रिका ने महिलाओं को एक ऐसा मंच प्रदान किया जहाँ वे अपनी बौद्धिक, रचनात्मक और सांस्कृतिक पहचान को व्यक्त कर सकें। साहित्यिक पक्ष: "ज़ेबुन्निसा" में नज़्म, ग़ज़ल, अफ़साना, निबंध, रेखाचित्र, जीवनियाँ और शोध जैसे विभिन्न साहित्यिक रूपों को स्थान दिया जाता था। विशेष बात यह थी कि नई लिखने वाली महिलाओं को भी प्रोत्साहन दिया जाता था, जिससे यह पत्रिका एक साहित्यिक प्रशिक्षण केंद्र बन गई थी। नारी दृष्टिकोण और सामाजिक विषयवस्तु: इस पत्रिका में महिलाओं से जुड़े सामाजिक मुद्दे, शिक्षा, वैवाहिक जीवन, आत्म-विश्वास और आधुनिक महिला की पहचान जैसे विषयों पर लेख प्रकाशित होते थे। इसकी भाषा संतुलित, गंभीर और गरिमामय होती थी, जिसने इसे अन्य महिला पत्रिकाओं से अलग पहचान दी। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व: "ज़ेबुन्निसा" ने उस समय में उर्दू पत्रकारिता में महिलाओं की आवाज़ को वह सम्मान और बौद्धिक विस्तार दिया जो पहले दुर्लभ था। यह पत्रिका इस बात का प्रमाण है कि महिलाओं की लेखनी न केवल मौजूद थी बल्कि प्रभावशाली और जागरूक भी थी। डिजिटलीकरण और शोध की उपयोगिता: आज जब रेख्ता जैसी डिजिटल पुस्तकालयों ने इस पत्रिका के कई अंक सुरक्षित कर लिए हैं, यह पत्रिका उर्दू पत्रकारिता, महिला साहित्य और दृश्य संस्कृति के शोधकर्ताओं के लिए एक अमूल्य स्रोत बन गई है।
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