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पढ़िए 15 यहाँ नस्र की मुख़्तलिफ़ अस्नाफ़ को पढ़ें जिनमें कहानियाँ , निबंध, साक्षात्कार, अक़्वाल और अन्य प्रकार का नस्री मवाद शामिल है
उर्दू कथाकारों की चुनिंदा रचनाओं का विशाल संग्रह
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"अफ़्सांचा" नस्र की वो सिन्फ़ है जिसमें कहानी को बहुत ही मुख़्तसर लफ़्ज़ियात के सहारे बयान किया गया हो।
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"हास्य-व्यंग्य" ये नस्र की एक सिन्फ़ है बात को इस अंदाज़ और तक्नीक से पेश करना कि उसमें तंज़-ओ-तन्क़ीद के साथ हिस्स-ए-ज़राफ़त भी शामिल हो।
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"ड्रामा" ये अदब की एक सिन्फ़ है जिसमें किसी कहानी ,वाक़िया और मुकालमे को इस तरह तर्तीब दिया जाता है कि उसे अदाकारी और किरदार के सहारे पेश किया जा सके।
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"ख़ाका" के लुग़वी मानी "तस्वीर का ढाँचा" और इस्तिलाह में नस्र की एक ऐसी सिन्फ़ है जिसमें किसी शख़्स की ज़ाहिरी और बातिनी तस्वीर खींची जाए।
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"ख़ुद-नविश्त सवानिह" यह एक अदबी सिन्फ़ जिसमें मुसन्निफ़ अपनी ज़ाती ज़िंदगी के तजुर्बात, ख़यालात या जज़्बात को बयान करता है। ये उर्दू अदब मैं ख़ुद-इज़्हार और ख़ुद-शनासी की एक शक्ल है।
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"रिपोर्ताज" नस्र की एक सहाफ़ती सिन्फ़ है। जिसमें किसी चश्म-दीद वाक़िया की रूदाद पेश की जाती है।
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इस इंतिख़ाब में अदबी शाइरों और अदीबों से मुताल्लिक़ मज़्हक़ा-ख़ेज़ वाक़ियात या दिलचस्प कहानियाँ शामिल हैं।
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बच्चों के लिए ख़ुसूसी तौर पर लिखी गई कहानियाँ हैं जो मुख़्तलिफ़ मौज़ूआत पर कहानी का अख़्लाक़ी सबक़ शामिल करती हैं। ये कहानियाँ ऐसे तैयार की गई हैं कि वो बच्चों को दिलचस्पी से मशग़ूल रखती हैं।
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"इंटरव्यू" ऐसा मुकालिमा है जिसमें इल्मी और अदबी शख़्सियात समाजी एहमीयत के मसाइल के साथ साथ अपने काम के मुख़्तलिफ़ पहलूओं पर गुफ़्तगु करें।
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किसी मुहक़्क़िक़ और मुफ़क्किर की मुस्तनद और मुदल्लल बात को "क़ौल" कहते हैं
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"ख़त" नस्र की एक सिन्फ़ है। ये दो अफ़राद के दरमियान लिखी जाने वाली ऐसी तहरीर या इबारत होती है जिसमें एक दूसरे का हाल अहवाल दरयाफ़्त किया गया हो।
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"तल्मीह" एक ऐसी सनअत है जिसमें मशहूर अदबी, सक़ाफ़्ती, तारीख़ी शख़्सियात, वाक़ियात या मतून की तरफ़ इशारा किया जाता है। तल्मीह के अल्फ़ाज़ या जुम्ले मुख़्तसर होते हैं मगर उनके पीछे कोई तारीख़ या वाक़िया पोशीदा होता है।
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ये नस्र की एक ख़ास सिन्फ़ है। किसी भी मौज़ू पर मालूमाती और मुदल्ल तहरीर को "मज़्मून" कहा जाता है।
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"नॉवेलेट" एक नस्री सिन्फ़ है इस में नॉवेल के मुक़ाबले में अल्फ़ाज़ की तादाद कम होती है, लेकिन अफ़्साने की दूसरी शक्लों जैसे अफ़्सांचे या माईक्रो फ़िक्शन के मुक़ाबले में अल्फ़ाज़ की तादाद ज़ियादा होती है।
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