Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

जो हो चुका है लहू अब वो शीर जागेगा

सईद अहसन

जो हो चुका है लहू अब वो शीर जागेगा

सईद अहसन

MORE BYसईद अहसन

    जो हो चुका है लहू अब वो शीर जागेगा

    वो ज़ुल्म है कि हर इक का ज़मीर जागेगा

    बहुत दिनों में ली नफ़रत ने दिल में अंगड़ाई

    जो महव-ए-ख़्वाब है तरकश का तीर जागेगा

    जवान बेटी के हमराह भीक माँगता है

    निगाह-ए-बद जो पड़ेगी फ़क़ीर जागेगा

    पराए ख़ून से इतना भी प्यार क्या करना

    बढ़ेगी उम्र तो इस का ख़मीर जागेगा

    चिता के शो'लों को रहने दे सर्द ही वर्ना

    भड़क उठेगा तो मुर्दा शरीर जागेगा

    ये किस सवाल में उलझे हुए हैं फ़रज़ाने

    कोई जगाए तो बर्र-ए-सग़ीर जागेगा

    अदब-नवाज़ के अंदर रही जो बेदारी

    तो ख़ानक़ाह-ए-अदब का भी पीर जागेगा

    मेरे दोस्त लगा इंक़लाब का नारा

    हर एक घर का सग़ीर-ओ-कबीर जागेगा

    ख़याल-ए-ख़ाम है शैतान वरग़लाता है

    वो सोता कब है कि रब्ब-ए-क़दीर जागेगा

    तू अपने लम्स के जादू पे ए'तिबार कर

    इसे झिंझोड़ तब इस का शरीर जागेगा

    रह-ए-तलब में भटकेगा कोई भी 'अहसन'

    जो कारवाँ की उमीदों का मीर जागेगा

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    Jashn-e-Rekhta 10th Edition | 5-6-7 December Get Tickets Here

    बोलिए