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बड़ा आज़ार-ए-जाँ है वो अगरचे मेहरबाँ है वो

अनीस अंसारी

बड़ा आज़ार-ए-जाँ है वो अगरचे मेहरबाँ है वो

अनीस अंसारी

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    रोचक तथ्य

    Every couplet of this Ghazal is intresting in its own way. The two lines have the same number of words, but the order is reversed.

    बड़ा आज़ार-ए-जाँ है वो अगरचे मेहरबाँ है वो

    अगरचे मेहरबाँ है वो बड़ा आज़ार-ए-जाँ है वो

    मिसाल-ए-आसमाँ है वो मुझे ज़रख़ेज़ करता है

    मुझे ज़रख़ेज़ करता है मिसाल-ए-आसमाँ है वो

    करीम-ओ-साएबाँ है वो मुझे महफ़ूज़ रखता है

    मुझे महफ़ूज़ रखता है करीम-ओ-साएबाँ है वो

    अगरचे बे-मकाँ है वो पनाहें मुझ को देता है

    पनाहें मुझ को देता है अगरचे बे-मकाँ है वो

    बड़ा आराम-ए-जाँ है वो लिए फिरता है सीने में

    लिए फिरता है सीने में बड़ा आराम-ए-जाँ है वो

    अगरचे बे-ज़बाँ है वो नज़र से बात करता है

    नज़र से बात करता है अगरचे बे-ज़बाँ है वो

    इक ऐसा ज़हर-ए-जाँ है वो मैं जिस को पी के ज़िंदा हूँ

    मैं जिस को पी के ज़िंदा हूँ इक ऐसा ज़हर-ए-जाँ है वो

    कि बहर-ए-बे-कराँ है वो तभी साहिल नहीं मिलता

    तभी साहिल नहीं मिलता कि बहर-ए-बे-कराँ है वो

    मिज़ाज-ए-दुश्मनाँ है वो पराया भी है अपना भी

    पराया भी है अपना भी मिज़ाज-ए-दुश्मनाँ है वो

    कमाल-ए-दोस्ताँ है वो वही अव्वल वही आख़िर

    वही अव्वल वही आख़िर कमाल-ए-दोस्ताँ है वो

    अमीर-ए-कारवाँ है वो मैं उस की राह चलता हूँ

    मैं उस की राह चलता हूँ अमीर-ए-कारवाँ है वो

    बड़ा गौहर-फ़िशाँ है वो मुझे भी कुछ गुहर देगा

    मुझे भी कुछ गुहर देगा बड़ा गौहर-फ़िशाँ है वो

    सुनहरी कहकशाँ है वो दहकते हैं कई सूरज

    दहकते हैं कई सूरज सुनहरी कहकशाँ है वो

    सुना है मेहरबाँ है वो 'अनीस' इतराते फिरते हैं

    'अनीस' इतराते फिरते हैं सुना है मेहरबाँ है वो

    स्रोत:

    Dard Abhi Mehfooz Nahin (Pg. 244)

    • लेखक: अनीस अंसारी
      • संस्करण: 2008
      • प्रकाशक: मेयार पब्लिकेशंस, नई दिल्ली
      • प्रकाशन वर्ष: 2008

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