Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

कहीं बदन तिश्नगी का सहरा कहीं बदन बे-कनार दरिया

तालिब जोहरी

कहीं बदन तिश्नगी का सहरा कहीं बदन बे-कनार दरिया

तालिब जोहरी

MORE BYतालिब जोहरी

    कहीं बदन तिश्नगी का सहरा कहीं बदन बे-कनार दरिया

    रफ़ाक़तों का हरीस सहरा कुदूरतों का शिकार दरिया

    चनाब के ख़ुश्क साहिलों पर गुज़र गई ख़ुश्क-लब जवानी

    हम उस को पाते तो कैसे पाते कि वो था दरिया के पार दरिया

    ज़रा सी इक आबजू से हम ने बुझा ली प्यास अपनी नारसी की

    हमारी सैराब ख़्वाहिशों को मिला करें अब हज़ार दरिया

    ख़िज़ाँ के मौसम की चीरा-दस्ती बदन के कपड़े भी ले गई है

    लिबास था अपनी बे-ज़री का फटा हुआ तार-तार दरिया

    वो एक जुज़ था जो अपने कुल की तलब में हैरान-ओ-मुज़्तरिब था

    खुले समुंदर की खाड़ियों में उतर गया बे-क़रार दरिया

    मैं अपनी कश्ती जला रहा था ग़म-ए-ज़माना के साहिलों पर

    निगाह-ए-हसरत से तक रहा था मुझे मिरा ग़म-गुसार दरिया

    स्रोत :

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY
    बोलिए