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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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आईना

MORE BYआसिफ़ इज़हार अली

    मिरी बिल्कुल नई और ख़ूबसूरत डाइरी पर

    जब उस के नन्हे मुन्ने हाथ

    टेढ़ी मेढ़ी लकीरें खींच कर

    अपने बचपन को पेश करते हैं

    तो मुझे बिल्कुल ग़ुस्सा नहीं आता

    उसे हक़ है कि वो अपनी मासूम ख़्वाहिशात

    अपनी सोच अपनी छोटी सी दुनिया को

    काग़ज़ पर उतार दे

    अपने दिमाग़ की हर गिरह खोल कर रख दे

    जूँ का तूँ अपना बचपन

    काग़ज़ के पैरहन में ढाल कर

    मुतमइन हो कर

    रोज़ की तरह दौड़ी दौड़ी मेरे पास आए

    मेरे गले में बाँहें डाल कर पूछे

    दादी आप की तस्वीर बनाऊँ

    और मेरे जवाब का इंतिज़ार किए बग़ैर

    इक अजब शान-ए-बे-नियाज़ी से

    स्केच-पेन और डाइरी ले कर

    मेरी तस्वीर बनाने में मसरूफ़ हो जाए

    और अपनी ये तस्वीर मैं दुनिया के सामने पेश करूँ

    कि बच्चे छोटे नहीं होते

    उस की बनाई हुई ये तस्वीर

    मेरा असली आईना बन जाए

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