सर-शोर चनाब अवतार मिरे
मिरे मोहन सागर सय्यारे
तिरी घोकर जीवन का सरगम
तिरी लहर लहर बरहम बरहम
जब उतरूँ खोल के पैराहन
तिरे पानी गले मिलें मुझ से
तिरी ठंडक सीने सावन के
तिरी महक मोहब्बत की बरखा
तिरे जल-थल जल-थल मंज़र से
मिरी रानों में गुदगुदी सी हो
मिरे तलवों में दो फूल खिलें
मिरे सोहन सागर सय्यारे
मिरे पागल वहशी बंजारे
तू आहू सब्ज़ ज़मीनों का
तू ज़ाएर-ए-पाक मदीनों का
तू शाहिद मौज के मेलों का
तू शोख़ मुसाफ़िर बेलों का
तिरी चाल में मस्ती मोरों सी
तिरी दहशत उथरे ढोरों सी
मिरे पागल वहशी बंजारे
मिरे मोहन सागर सय्यारे
तू खुली किताब अजाइब की
तिरा वरक़ वरक़ तूफ़ान लगे
तिरी कथा में रमज़ीं शहद भरी
तू नफ़स नफ़स इंसान लगे
मैं ज़र्द किनारे का पत्थर
मिरा बदन बबूलों की डाली
मुझे अमृत दे मुझे ज़हर पिला
मिरा जिस्म है अंदर से ख़ाली
मिरे मोहन सागर सय्यारे
तू सब्ज़ कचोर पहाड़ी के
बर्बाद शिवालों का वारिस
बिछड़ी हुई कूंजों का मस्कन
भटके हुए बगलों का दरिया
मिरा मोहन सागर सय्यारा
मिरा पागल वहशी बंजारा
सर-शोर चनाब अवतार है तू
और यार अजब शहकार है तू
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