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अब्दुर्रहीम नश्तर

1947 | कैम्पटी, भारत

शायर और गद्यकार, अपनी किताब ‘कोकन में उर्दू तालीम’ के लिए भी जाने जाते हैं

शायर और गद्यकार, अपनी किताब ‘कोकन में उर्दू तालीम’ के लिए भी जाने जाते हैं

अब्दुर्रहीम नश्तर

ग़ज़ल 20

नज़्म 8

अशआर 13

कुछ मधुर तानें फ़ज़ा में थरथरा कर रह गईं

धान के खेतों में चंचल पंछियों का शोर था

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पान के ठेले होटल लोगों का जमघट

अपने तन्हा होने का एहसास भी क्या

फटे पुराने बदन से किसे ख़रीद सकूँ

सजे हैं काँच के पैकर बड़ी दुकानों में

फिर इक नए सफ़र पे चला हूँ मकान से

कोई पुकारता है मुझे आसमान से

वो अजनबी तिरी बाँहों में जो रहा शब भर

किसे ख़बर कि वो दिन भर कहाँ रहा होगा

पुस्तकें 12

"कैम्पटी" के और शायर

 

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