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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Abrar Asar's Photo'

अबरार असर

अबरार असर के शेर

उस के चेहरे पे था नमक ऐसा

आज तक ज़ाइक़ा है होंटों पर

तो आफ़्ताब की है ग़रज़ तलब मुझे कोई चाँद की

वो चराग़ मुझ को 'अज़ीज़ है मिरी ज़ुल्मतों को जो नूर दे

ख़तरा था आंधियों से मगर हाए-रे नसीब

बाद-ए-सबा चराग़ बुझा कर चली गई

चमन में शोर है भँवरों की चाहत का बहुत लेकिन

मोहब्बत गुल की बुलबुल से है ख़ामोशी के पर्दे में

पुख़्ता अगर है 'अज़्म तो सोचो दोस्तो

छोटी सी नाव और समुंदर विशाल है

मैं अगर आइना नहीं होता

कोई मुझ से ख़फ़ा नहीं होता

चाहे कितनी भी अँधेरी शब हो

देखना फिर से उजाला होगा

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