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असद अली ख़ान क़लक़

1820 - 1879 | लखनऊ, भारत

अवध के आख़िरी नवाब वाजिद अली शाह के प्रमुख दरबारी और आफ़ताबुद्दौला शम्स-ए-जंग के ख़िताब से सम्मानित शायर

अवध के आख़िरी नवाब वाजिद अली शाह के प्रमुख दरबारी और आफ़ताबुद्दौला शम्स-ए-जंग के ख़िताब से सम्मानित शायर

असद अली ख़ान क़लक़ के ऑडियो

ग़ज़ल

आश्ना होते ही उस इश्क़ ने मारा मुझ को

नोमान शौक़

डोरा नहीं है सुरमे का चश्म-ए-सियाह में

नोमान शौक़

था क़स्द-ए-क़त्ल-ए-ग़ैर मगर मैं तलब हुआ

नोमान शौक़

दफ़्तर जो गुलों के वो सनम खोल रहा है

नोमान शौक़

रोज़-ए-अव्वल से असीर ऐ दिल-ए-नाशाद हैं हम

नोमान शौक़

सैर करते उसे देखा है जो बाज़ारों में

नोमान शौक़

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