असद मुल्तानी के शेर
असरार अगर समझे दुनिया की हर इक शय के
ख़ुद अपनी हक़ीक़त से ये बे-ख़बरी क्यूँ है
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रहें न रिंद ये ज़ाहिद के बस की बात नहीं
तमाम शहर है दो-चार दस की बात नहीं
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