अवैसुल हसन खान
ग़ज़ल 9
अशआर 1
इश्क़ की तमन्ना थी इश्क़ की तमन्ना है
इश्क़ ही की राहों में मस्तियों का मेला है
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere