Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Azeem Haider Syed's Photo'

अज़ीम हैदर सय्यद

1971 | कराची, पाकिस्तान

अज़ीम हैदर सय्यद के शेर

910
Favorite

श्रेणीबद्ध करें

देने वाले तू मुझे नींद दे ख़्वाब तो दे

मुझ को महताब से आगे भी कहीं जाना है

शाम-ए-हिज्र-ए-यार मिरी तू गवाही दे

मैं तेरे साथ साथ रहा घर नहीं गया

लिबास देख के इतना हमें ग़रीब जान

हमारा ग़म तिरी इम्लाक से ज़ियादा है

इसी लिए तो हार का हुआ नहीं मलाल तक

वो मेरे साथ साथ था उरूज से ज़वाल तक

तू ने भी सारे ज़ख़्म किसी तौर सह लिए

मैं भी बिछड़ के जी ही लिया मर नहीं गया

बाज़ार-ए-आरज़ू में कटी जा रही है उम्र

हम को ख़रीद ले वो ख़रीदार चाहिए

ख़याल आता है अक्सर उतार फेंकूँ बदन

कि ये लिबास मिरी ख़ाक से ज़ियादा है

किस लिए ख़ुद को समझता है वो पत्थर की लकीर

उस का इंकार भी इक़रार में सकता है

धुँद में खो के रह गईं सूरतें मेहर-ओ-माह सी

वक़्त की गर्द ने उन्हें ख़्वाब-ओ-ख़याल कर दिया

सड़क के पार चला जा रहा है बचता हुआ

किसी का हाथ कोई मेहरबान थामे हुए

चमन उजाड़ने वालो तुम्हें ख़ुदा समझे

तुम्हें आई हया फूल तो हमारे गए

सर पे सूरज है तो फिर छाँव से महज़ूज़ हो

धूप का रंग भी दीवार में सकता है

उन से भी पूछिए कभी अपनी ज़मीं का कर्ब

जो साहिलों को छोड़ के दरिया में गए

सब मोजज़ों के बाब में ये मोजज़ा भी हो

जो लोग मर गए हैं उन्हें ख़ाक से उठा

क्या ढूँडने निकली है किसी क़ैस को पागल

इस दर्जा जो ये बाद-ए-बयाबानी हुई है

आहन संग को ज़हराब-ए-फ़ना चाट गया

पहले दीवार शिकस्ता हुई फिर बाब गिरा

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

Get Tickets
बोलिए