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बाक़र मेहदी

1927 - 2006 | मुंबई, भारत

प्रमुख आलोचक, अपनी बेबाकी और परम्परा-विरोध के लिए विख्यात

प्रमुख आलोचक, अपनी बेबाकी और परम्परा-विरोध के लिए विख्यात

बाक़र मेहदी के ऑडियो

ग़ज़ल

अब ख़ानुमाँ-ख़राब की मंज़िल यहाँ नहीं

नोमान शौक़

इश्क़ की सारी बातें ऐ दिल पागल-पन की बातें हैं

नोमान शौक़

इस दर्जा हुआ ख़ुश कि डरा दिल से बहुत मैं

नोमान शौक़

और कोई जो सुने ख़ून के आँसू रोए

नोमान शौक़

क्या क्या नहीं किया मगर उन पर असर नहीं

नोमान शौक़

क्या ख़बर थी कि कभी बे-सर-ओ-सामाँ होंगे

नोमान शौक़

चराग़-ए-हसरत-ओ-अरमाँ बुझा के बैठे हैं

नोमान शौक़

चाहा बहुत कि इश्क़ की फिर इब्तिदा न हो

नोमान शौक़

जो ज़माने का हम-ज़बाँ न रहा

नोमान शौक़

दर्द-ए-दिल आज भी है जोश-ए-वफ़ा आज भी है

नोमान शौक़

दुश्मन-ए-जाँ कोई बना ही नहीं

नोमान शौक़

बदल के रख देंगे ये तसव्वुर कि आदमी का वक़ार क्या है

नोमान शौक़

महफ़िलों में जा के घबराया किए

नोमान शौक़

लरज़ लरज़ के न टूटें तो वो सितारे क्या

नोमान शौक़

वो रिंद क्या कि जो पीते हैं बे-ख़ुदी के लिए

नोमान शौक़

हज़ार चाहा लगाएँ किसी से दिल लेकिन

नोमान शौक़

नज़्म

ख़ामुशी

नोमान शौक़

निरवान

नोमान शौक़

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