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फ़सीह अकमल के ऑडियो

ग़ज़ल

कुछ नया करने की ख़्वाहिश में पुराने हो गए

फ़सीह अकमल

किताबों से न दानिश की फ़रावानी से आया है

फ़सीह अकमल

किसी के सामने इस तरह सुर्ख़-रू होगी

फ़सीह अकमल

ग़ुबार-ए-तंग-ज़ेहनी सूरत-ए-ख़ंजर निकलता है

फ़सीह अकमल

चश्म-ए-हैरत को तअल्लुक़ की फ़ज़ा तक ले गया

फ़सीह अकमल

जो तू नहीं है तो लगता है अब कि तू क्या है

फ़सीह अकमल

दे गया लिख कर वो बस इतना जुदा होते हुए

फ़सीह अकमल

प्यार जादू है किसी दिल में उतर जाएगा

फ़सीह अकमल

मुज़्तरिब दिल की कहानी और है

फ़सीह अकमल

मुद्दत से वो ख़ुशबू-ए-हिना ही नहीं आई

फ़सीह अकमल

मुनव्वर जिस्म-ओ-जाँ होने लगे हैं

फ़सीह अकमल

ये वो सफ़र है जहाँ ख़ूँ-बहा ज़रूरी है

फ़सीह अकमल

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