aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Fauziya rabab's Photo'

फ़ौज़िया रबाब

1988 | गोवा, भारत

फ़ौज़िया रबाब का परिचय

मूल नाम : फ़ौज़िया कुरैशी

जन्म : 25 Jul 1988 | बिजनौर, उत्तर प्रदेश

तुम्हारी याद है मातम-कुनाँ अभी मुझ में

तुम्हारा दर्द अभी तक सियह लिबास में है

हिंदुस्तान की नई पीढ़ी की मशहूर शायरा, आलोचक और पत्रकार फौज़िया रबाब का जन्म अहमदाबाद (गुजरात) के एक शिक्षित परिवार में हुआ। उनका पैतृक स्थान उतर प्रदेश की प्रसिद्ध सरज़मीन बिजनौर है। वो शादी के बाद ख़ूबसूरत पर्यटन स्थल गोवा में रहती हैं।

उन्होंने गुजरात यूनीवर्सिटी, अहमदाबाद से विशेष अंकों के साथ उर्दू में बी.ए और एम.ए का इम्तिहान पास किया। इसके अलावा फौज़िया रबाब ने पी.जी डिप्लोमा इन जर्नलिज़्म और बी.एड की डिग्रियां भी हासिल कीं।

उन्हें उर्दू, हिन्दी और अंग्रेज़ी पर अधिकार है। अरबी, फ़ारसी की भी ख़ासी शुद बुद है, इसके अलावा गुजराती, पंजाबी और कोंकणी भाषाओँ से भी दिलचस्पी रखती हैं।
वो देश-विदेश के दर्जनों राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुशायरों में शरीक हो चुकी हैं। फौज़िया रबाब को दर्जनों राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक सेमीनारों में आलेख प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया गया है।
उनका काव्य संग्रह “आँखों के उस पार” पाठकों में बहुत लोकप्रिय हुआ। उनकी रचनाएँ और आलेख देश-विदेश के अख़बारों और पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित होते रहे हैं। चार किताबें प्रकाशनाधीन हैं।
फौज़िया रबाब “आमद” की शायरा हैं, “आवुर्द” से उन्हें दूर दूर तक सरोकार नहीं। उनके लिए रचनात्मक प्रक्रिया और समर्पण की नई दुनिया दरयाफ़त करने से इबारत है। शायरी विद्वता और फ़लसफ़ा बघारने का नाम नहीं, बल्कि भावनाओं और एहसास की आँच से पत्थर पिघलाने वाला एक ज्योतिपुंज है। फौज़िया रबाब का कलाम इस ख़्याल की भरपूर समर्थन करता है। अन्तःकरण की पीड़ा, आसक्ति व बेख़ुदी और अजब सहसापन___फौज़िया रबाब की मुख्य विशेषताएं हैं। ऐसा महसूस होता है कि रबाब का जज़्बा,एहसास,ख़्याल और लफ़्ज़ सभी कुछ एक साथ स्वाभाविक रूप से काव्यात्मक आकृति में ढल जाते हैं। इसके लिए उन्हें किसी यांत्रिकी और कारीगरी के मरहले से नहीं गुज़रना पड़ता है। शायरी उपार्जित और बनावटी भी हो सकती है, वहबी और दैवी भी। फौज़िया रबाब का ताल्लुक़ बाद के क़बीले से है। उनकी शायरी सही अर्थों में एक ‘कुन फयकुनी’ सृजनात्मक दशा की अभिव्यक्ति है। यहां लफ़्ज़, ख़्याल, शैली, आकृति, रंग, बुनत और आतंरिक व बाह्य सूरत कुछ भी ग़ैर काव्यात्मक और साज-सज्जा की ऋणी नहीं, बल्कि अवतरण की एक आनंदायी और सुंदर फ़िज़ा है, जहां ख़ुशबू, रंग और रोशनी का मिश्रण हल्की ग़मगीनी और उदासी के साथ एक काल्पनिक दृश्य बनाता है। फौज़िया रबाब मूल रूप से मुहब्बत की शायरा हैं। उनके कलाम में मुहब्बत अपने नए नए रंगों और तेवरों के साथ व्यक्त होती है। उनकी शे’री कायनात में विरह और मिलन को धुरी व केंद्र का दर्जा प्राप्त है।

संबंधित टैग

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

GET YOUR PASS
बोलिए