ज्ञान चंद जैन
ग़ज़ल 6
अशआर 2
धरती और अम्बर पर दोनों क्या रानाई बाँट रहे थे
फूल खिला था तन्हा तन्हा चाँद उगा था तन्हा तन्हा
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere