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हफ़ीज़ जौनपुरी

1865 - 1918 | जौनपुर, भारत

अपने शेर 'बैठ जाता हूँ जहाँ छाँव घनी होती है' के लिए मशहूर।

अपने शेर 'बैठ जाता हूँ जहाँ छाँव घनी होती है' के लिए मशहूर।

हफ़ीज़ जौनपुरी के ऑडियो

ग़ज़ल

इधर होते होते उधर होते होते

नोमान शौक़

कहा ये किस ने कि वादे का ए'तिबार न था

नोमान शौक़

जुनूँ के जोश में फिरते हैं मारे मारे अब

नोमान शौक़

दिया जब जाम-ए-मय साक़ी ने भर के

नोमान शौक़

पत्थर से न मारो मुझे दीवाना समझ कर

नोमान शौक़

बैठ जाता हूँ जहाँ छाँव घनी होती है

नोमान शौक़

वस्ल में आपस की हुज्जत और है

नोमान शौक़

वो हसीं बाम पर नहीं आता

नोमान शौक़

सुन के मेरे इश्क़ की रूदाद को

नोमान शौक़

साथ रहते इतनी मुद्दत हो गई

नोमान शौक़

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