Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Haidar Ali Aatish's Photo'

हैदर अली आतिश

1778 - 1847 | लखनऊ, भारत

मिर्ज़ा ग़ालिब के समकालीन, 19वीं सदी की उर्दू ग़ज़ल का रौशन सितारा।

मिर्ज़ा ग़ालिब के समकालीन, 19वीं सदी की उर्दू ग़ज़ल का रौशन सितारा।

हैदर अली आतिश के वीडियो

This video is playing from YouTube

वीडियो का सेक्शन
अन्य वीडियो
ये आरज़ू थी तुझे गुल के रू-ब-रू करते

ये आरज़ू थी तुझे गुल के रू-ब-रू करते अमानत अली ख़ान

यार को मैं ने मुझे यार ने सोने न दिया

यार को मैं ने मुझे यार ने सोने न दिया अमानत अली ख़ान

क्या क्या न रंग तेरे तलबगार ला चुके

क्या क्या न रंग तेरे तलबगार ला चुके अज्ञात

ये आरज़ू थी तुझे गुल के रू-ब-रू करते

ये आरज़ू थी तुझे गुल के रू-ब-रू करते टीना सानी

ये आरज़ू थी तुझे गुल के रू-ब-रू करते

ये आरज़ू थी तुझे गुल के रू-ब-रू करते हामिद अली ख़ान

ये आरज़ू थी तुझे गुल के रू-ब-रू करते

ये आरज़ू थी तुझे गुल के रू-ब-रू करते शफ़क़त अमानत अली

वहशत-ए-दिल ने किया है वो बयाबाँ पैदा

वहशत-ए-दिल ने किया है वो बयाबाँ पैदा मेहदी हसन

सुन तो सही जहाँ में है तेरा फ़साना क्या

सुन तो सही जहाँ में है तेरा फ़साना क्या मेहदी हसन

सुन तो सही जहाँ में है तेरा फ़साना क्या

सुन तो सही जहाँ में है तेरा फ़साना क्या बेगम अख़्तर

अन्य वीडियो

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

Get Tickets
बोलिए