हेंसन रेहानी के शेर
ग़म की तकमील का सामान हुआ है पैदा
लाइक़-ए-फ़ख़्र मिरी बे-सर-ओ-सामानी है
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टैग : ग़म
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तोड़ कर निकले क़फ़स तो गुम थी राह-ए-आशियाँ
वो अमल तदबीर का था ये अमल तक़दीर का
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हर ज़र्रा है जमाल की दुनिया लिए हुए
इंसाँ अगर हो दीदा-ए-बीना लिए हुए
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