aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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कृष्ण अदीब

1915 - 1999

कृष्ण अदीब

ग़ज़ल 8

अशआर 3

धीमा धीमा दर्द सुहाना हम को अच्छा लगता था

दुखते जी को और दुखाना हम को अच्छा लगता था

शो-केस में रक्खा हुआ औरत का जो बुत है

गूँगा ही सही फिर भी दिल-आवेज़ बहुत है

पुश्त पर क़ातिल का ख़ंजर सामने अंधा कुआँ

बच के जाऊँ किस तरफ़ अब रास्ता कोई नहीं

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चित्र शायरी 1

 

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