Manzar Lakhnavi's Photo'

मंज़र लखनवी

- 1965

मंज़र लखनवी

ग़ज़ल 21

अशआर 60

दर्द हो दिल में तो दवा कीजे

और जो दिल ही हो तो क्या कीजे

ग़म में कुछ ग़म का मशग़ला कीजे

दर्द की दर्द से दवा कीजे

तफ़रीक़ हुस्न-ओ-इश्क़ के अंदाज़ में हो

लफ़्ज़ों में फ़र्क़ हो मगर आवाज़ में हो

  • शेयर कीजिए

ग़ुस्सा क़ातिल का बढ़ता है कम होता है

एक सर है कि वो हर रोज़ क़लम होता है

  • शेयर कीजिए

बहकी बहकी निगह-ए-नाज़ ख़ुदा ख़ैर करे

हुस्न में इश्क़ के अंदाज़ ख़ुदा ख़ैर करे

  • शेयर कीजिए

पुस्तकें 1

 

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 2-3-4 December 2022 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate, New Delhi

GET YOUR FREE PASS
बोलिए