aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Mirza Athar Zia's Photo'

मिर्ज़ा अतहर ज़िया

1981 - 2018 | आज़मगढ़, भारत

मिर्ज़ा अतहर ज़िया के शेर

893
Favorite

श्रेणीबद्ध करें

मुझ में थोड़ी सी जगह भी नहीं नफ़रत के लिए

मैं तो हर वक़्त मोहब्बत से भरा रहता हूँ

तेरी दहलीज़ पे इक़रार की उम्मीद लिए

फिर खड़े हैं तिरे इंकार के मारे हुए लोग

देखते रहते हैं ख़ुद अपना तमाशा दिन रात

हम हैं ख़ुद अपने ही किरदार के मारे हुए लोग

ख़ुद अपने क़त्ल का इल्ज़ाम ढो रहा हूँ अभी

मैं अपनी लाश पे सर रख के रो रहा हूँ अभी

इंतिज़ार करो कल का आज दर्ज करो

ख़मोशी तोड़ दो और एहतिजाज दर्ज करो

मैं अधूरा सा हूँ उस के अंदर

और वो शख़्स मुकम्मल मुझ में

तू ने वक़्त पलट कर भी कभी देखा है

कैसे हैं सब तिरी रफ़्तार के मारे हुए लोग

एक दरिया को दिखाई थी कभी प्यास अपनी

फिर नहीं माँगा कभी मैं ने दोबारा पानी

क्या पता जाने कहाँ आग लगी

हर तरफ़ सिर्फ़ धुआँ है मुझ में

मैं ने कैसे कैसे मोती ढूँडे हैं

लेकिन तेरे आगे सब कुछ पत्थर है

जश्न होता है वहाँ रात ढले

वो जो इक ख़ाली मकाँ है मुझ में

तमाम शहर में बिखरा पड़ा है मेरा वजूद

कोई बताए भला किस तरह चुनूँ ख़ुद को

हरीम-ए-दिल में ठहर या सरा-ए-जान में रुक

ये सब मकान हैं तेरे किसी मकान में रुक

मैं ही आईना-ए-दुनिया में चला आया हूँ

या चली आई है दुनिया मिरे आईने में

मेरी आँखों से भी इक बार निकल

देखूँ मैं तेरी रवानी पानी

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

GET YOUR PASS
बोलिए