नईम सरमद के शेर
कैसी बिपता पाल रखी है क़ुर्बत की और दूरी की
ख़ुशबू मार रही है मुझ को अपनी ही कस्तूरी की
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere