नुत्क़ काकोरवी, मुन्शी मक़्सूद अहमद (1843-1911) लखनऊ के नज़्दीक मशहूर कस्बा काकोरी मैं पैदा हुए। तीस साल की उ’म्र तक शाइ’री कर के दो दीवान मुरत्तब किए, और फिर ज़िन्दगी भर कुछ नहीं कहा। उन की ग़ज़ल में उस वक़्त की लखनवी शाइ’री के बहुत से रंग और हाव-भाव नुमायाँ हैं।