Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Quaiser Khalid's Photo'

क़ैसर ख़ालिद

1971 | मुंबई, भारत

क़ैसर ख़ालिद के शेर

499
Favorite

श्रेणीबद्ध करें

मीठी बातें, कभी तल्ख़ लहजे के तीर

दिल पे हर दिन है उन का करम भी नया

बातों से फूल झड़ते थे लेकिन ख़बर थी

इक दिन लबों से उन के ही नश्तर भी आएँगे

तेरे बिन हयात की सोच भी गुनाह थी

हम क़रीब-ए-जाँ तिरा हिसार देखते रहे

आतिश-ए-इश्क़ से बचिए कि यहाँ हम ने भी

मोम की तरह से पत्थर को पिघलते देखा

डाल दी पैरों में उस शख़्स के ज़ंजीर यहाँ

वक़्त ने जिस को ज़माने में उछलते देखा

अब इस तरह भी रिवायत से इंहिराफ़ कर

बदल अगरचे तू अच्छा दे, ख़राब तो दे

मोहमल है जानें तो, समझें तो वज़ाहत है

है ज़ीस्त फ़क़त धोका और मौत हक़ीक़त है

हो पाए किसी के हम भी कहाँ यूँ कोई हमारा भी हुआ

कब ठहरी किसी इक पर भी नज़र क्या चीज़ है शहर-ए-ख़ूबाँ भी

उम्र भर खुल नहीं पाते हैं रुमूज़-ओ-असरार

लोग कुछ सामने रह कर भी निहाँ होते हैं

कुछ तू ही बता आख़िर क्यूँ-कर तिरे बंदों पर

हर शब है नई आफ़त हर रोज़ मुसीबत है

Recitation

बोलिए