Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Sahba lakhnavi's Photo'

सहबा लखनवी

1919 - 2002 | कराची, पाकिस्तान

सहबा लखनवी के शेर

कितने दीप बुझते हैं कितने जलते हैं

अज़्म-ए-ज़िंदगी ले कर फिर भी लोग चलते हैं

कारवाँ के चलने से कारवाँ के रुकने तक

मंज़िलें नहीं यारो रास्ते बदलते हैं

मौज मौज तूफ़ाँ है मौज मौज साहिल है

कितने डूब जाते हैं कितने बच निकलते हैं

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

GET YOUR PASS
बोलिए