साजिद सजनी लखनवी के शेर
तलाक़ दे तो रहे हो इताब-ओ-क़हर के साथ
मिरा शबाब भी लौटा दो मेरी महर के साथ
मुझ को तो ईद में भी फ़राग़त कहाँ मिली
लड़ती रही है सास सवेरे से शाम तक
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere