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जाएगी गुलशन तलक उस गुल की आमद की ख़बर
आएगी बुलबुल मिरे घर में मुबारकबाद को
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टैग : जन्मदिन
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हिचकियाँ आती हैं पर लेते नहीं वो मेरा नाम
देखना उन की फ़रामोशी को मेरी याद को
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बर्ग-ए-गुल आ मैं तेरे बोसे लूँ
तुझ में है ढंग यार के लब का
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टैग : बर्ग
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रुख़ हाथ पे रक्खा न करो वक़्त-ए-तकल्लुम
हर बात में क़ुरआन उठाया नहीं जाता
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बहुत ख़्वाब-ए-ग़फ़लत में दिन चढ़ गया
उठो सोने वालो फिर आएगी रात
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दर्द को गुर्दा तड़पने को जिगर
हिज्र में सब हैं मगर दिल तो नहीं
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क़ाफ़िला जाता है साग़र की तरफ़ रिंदों का
है मगर क़ुलक़ुल-ए-मीना जरस-ए-जाम-ए-शराब
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क्यूँ हसीनों की आँखों से न लड़े
मेरी पुतली की मर्दुमी ही तो है
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नज़'अ के दम भी उन्हें हिचकी न आएगी कभी
यूँही गर भूले रहेंगे वो 'सख़ी' की याद को
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तस्वीर-ए-चश्म-ए-यार का ख़्वाहाँ है बाग़बाँ
ईजाद होगी नर्गिस-ए-बीमार की जगह
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ख़ुदा के पास क्या जाएँगे ज़ाहिद
गुनाह-गारों से जब ये बार पाएँ
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मिरे लाशे को कांधा दे के बोले
चलो तुर्बत में अब तुम को सुलाएँ
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कहना मजनूँ से कि कल तेरी तरफ़ आऊँगा
ढूँडने जाता हूँ फ़रहाद को कोहसार में आज
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ली ज़बाँ उस की जो मुँह में हो गया ज़ौक़-ए-नबात
उँगलियाँ चूसीं तो ज़ौक़-ए-नैशकर पैदा हुआ
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