noImage

तालिब जयपुरी

1911

तालिब जयपुरी के शेर

बे-ख़ुदी में हम तो तेरा दर समझ कर झुक गए

अब ख़ुदा मालूम काबा था कि वो बुत-ख़ाना था

आँखों में आँसू लब पर तबस्सुम

मोहब्बत में ऐसे भी लम्हात आए

उन की तरफ़ भी देखो ज़रा गदा-नवाज़

दामन ही तेरे सामने फैला के रह गए

Recitation

aah ko chahiye ek umr asar hote tak SHAMSUR RAHMAN FARUQI

Jashn-e-Rekhta | 2-3-4 December 2022 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate, New Delhi

GET YOUR FREE PASS
बोलिए