वेद राही के शेर
उन को भूले ज़माना होता है
अश्क आँखों में फिर भी भर आए
हम ने दुनिया में क्या नहीं देखा
देखिए और देखना क्या है
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चाँद बिखरा रहा है किरनों को
कौन आता है सर को निहुड़ाए
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