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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Yashvardhan Mishra's Photo'

यशवर्धन मिश्रा

2002 | आज़मगढ़, भारत

यशवर्धन मिश्रा के शेर

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रंग सारे गए 'आरिज़ पे मेरे

जब कहा उस ने मुझे होली मुबारक

देख सकता हूँ बिना चश्मे के मैं

दोस्त तेरी बेवफ़ाई साफ़ साफ़

चाहिए थी आप की तस्वीर सो

खींच ली तस्वीर मैं ने चाँद की

रख लिया था मैं ने रोज़ा जाँ तुम्हारे नाम का

तुम को देखा ख़्वाब में और मेरी सहरी हो गई

रौशनी भी तीरगी भी साथ है या यूँ कहें

ज़िंदगी ख़ुश है मगर ख़ुश भी तवाइफ़ की तरह

जब से टाँगी है तिरी तस्वीर दिल की अलगनी पर

याँ तभी से दिन में तितली बैठती है शब में जुगनू

दफ़'अतन मैं ठीक हो सकता हूँ चारागर मिरे

तू मुझे पहना दे उस के नाम का ता'वीज़ गर

आज की शब ख़्वाब में बातें हुई हैं जिन से मेरी

या-ख़ुदा इक रोज़ हो जाए मुझे दीदार उन का

तीरगी-ए-ज़ीस्त कर दी ख़त्म इस ने

रौशनी है फूल सी बच्ची हमारी

हम तिरा नाम बेंच पर अपनी

रोज़ लिखते हैं और मिटाते हैं

उदासी रास्ता बतला रही है हाथ पकड़े यूँ

पता मा'लूम हो जैसे हमारी मौत का इस को

जब लगे ख़ुद को कभी बीमार से हम

लग के रोएँ हैं दर-ओ-दीवार से हम

दिल का कमरा रौशनी से भर गया

जब जला दीपक तुम्हारी याद का

बना होगा किसी भी रोज़ तो पत्थर बना होगा

कहीं फिर बा'द में वो शख़्स चारागर बना होगा

तुम्हारे बिन नहीं लेते कभी करवट अकेले हम

तुम्हारी याद भी करवट हमारे साथ लेती है

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