१० मिनट मंटो के साथ
मंटो अपने दौर के बेहद
अह्म अफ़्साना-निगार हैं, जिन्होंने इंसानी नफ़्सियात के अलग-अलग पहलुओं पर क़लम उठाया। उनकी तहरीरों की मक़बूलियत हर ख़ास और आम में एक-सी है। इस चयन में हमारी एडिटोरियल टीम ने मंटो के ऐसे पाँच अफ़्साने शामिल किए हैं जिन्हें कम से कम समय में पढ़ा जा सकता है।
बदसूरती
यह दो बहनों, हामिदा और साजिदा की कहानी है। साजिदा बहुत ख़ूबसूरत है, जबकि हामिदा बहुत बदसूरत है। साजिदा को एक लड़के से मोहब्बत हो जाती है, तो हामिदा को बहुत दुःख होता है। इस बात को लेकर उन दोनों के बीच झगड़ा भी होता है, पर फिर दोनों बहनें सुलह कर लेती है और साजिदा की शादी हामिद से हो जाती है। एक साल बाद साजिदा अपने शौहर के साथ हामिदा से मिलने आती है। रात को कुछ ऐसा होता है कि सुबह होते ही हामिद साजिदा को तलाक़़ दे देता है और कुछ अरसे बाद हामिदा से शादी कर लेता है।
सआदत हसन मंटो
रत्ती, माशा, तोला
ये एक प्रेम कहानी है। जमाल नाम के लड़के को एक लड़की से मोहब्बत हो जाती है। लड़की भी उससे मोहब्बत करती है, पर उसकी मोहब्बत बहुत नपी-तुली होती है। इसका कारण उसकी ज़िंदगी का मामूल (टाइम-टेबल) होता है, जिसके मुताबिक़ वह हर काम समय पर और नपी-तुली मात्रा में करने की पाबंद होती है। दूसरे कामों की तरह ही वह मोहब्बत को भी समय और उसके किए जाने की मात्रा में करने पर ही सहमत होती है। पर जब जमाल उससे अपनी जैसी चाहत की माँग करता है, तो उनकी शादी तलाक़़ के लिए कोर्ट तक पहुँच जाती है।
सआदत हसन मंटो
नफ़सियात शनास
यह कहानी एक ऐसे शख़्स की है जो अपने घरेलू नौकर पर मनोवैज्ञानिक अध्ययन करता है। उसके यहाँ पहले दो सगे भाई नौकर हुआ करते थे। उनमें से एक बहुत चुस्त था तो दूसरा बहुत सुस्त। उसने सुस्त नौकर को हटाकर उसकी जगह एक नया नौकर रख लिया। वह बहुत होशियार और पहले वाले से भी ज़्यादा चुस्त और फुर्तीला था। उसकी चुस्ती और फ़ुर्ती इतनी ज़्यादा थी कि कभी-कभी वह उसके काम करने की तेज़ी को देख कर झुंझला जाता था। उसका एक दोस्त उस नौकर की बड़ी तारीफ़ किया करता था। इससे प्रभावित हो कर एक रोज़ उसने नौकर की गतिविधियों का मनोवैज्ञानिक अध्ययन करने की ठानी और फिर...
सआदत हसन मंटो
जान मोहम्मद
इंसान की नफ़्सियाती पेचीदगियों और तह दर तह पोशीदा शख़्सियत को बयान करती हुई कहानी है। जान मोहम्मद मंटो के बीमारी के दिनों में एक मुख़लिस तीमारदार के रूप में सामने आया और फिर बेतकल्लुफी से मंटो के घर आने लगा, लेकिन असल में वह मंटो के पड़ोस की लड़की शमीम के चक्कर में आता था। एक दिन शमीम और जान मोहम्मद घर से फ़रार हो जाते हैं, तब उसकी असलियत पता चलती है।
सआदत हसन मंटो
फुसफुसी कहानी
"दो क्लर्क भाई रिश्वत के दो सौ रुपये ख़र्च करने के बाद भी जब ख़ुश न हुए तो वो सर्द रात में विवश हो कर घर की तरफ़ चल पड़े। रास्ते में उन्हें एक अंधी लड़की मिली। दंगों में जिसकी दृष्टि चली गई थी। उस लड़की से वो आनन्द लेने की कोशिश कर ही रहे थे कि दो सिपाही आते हुए दिखाई दिए। बड़े भाई ने बैठने के लिए जो ओवर कोट बिछाया था उसे उठा कर भागा तो लड़की एक खाई में गिर गई। सिपाहियों ने जब उसको बाहर निकाला तो उसने चीख़ कर कहा मैं देख सकती हूँ, मेरी नज़र वापस आ गई है और ये कह कर भाग खड़ी हुई।"