aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
Author: | Nomaan Shauq |
Language: | Hindi |
Publisher: | Rekhta Publications |
Binding: | Paperback (146 pg) |
Year: | 2018 (1st Edition) |
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इस किताब में एक ऐसे शाइ’र की शाइ’री है जो शहर के बाज़ारों के बीचों-बीच अपने वजूद के सहरा में ज़िन्दगी गुज़ार रहे हैं। उनकी शाइ’री से ये नुमायाँ होता है कि उन्होंने वक़्त को अपने जिस्म के चाक पर रख कर उससे अपनी रफ़्तार का हम-रक़्स कर दिया है। वो किसी कि मदहोश बाँहों की ख़्वाहिशों के नशे में इश्क़ के ला-मुतनाही सफ़र में अपने हम-असरों से काफ़ी आगे निकल आए हैं और उनकी शाइरी को इश्क़ का सफ़र-नामा भी कहा जा सकता है। उनके सहराई बदन का अहाता इतना वसीअ है कि इश्क़-ओ-हवस के तमाम ज़ावियों ने इस दश्त में अपना घर कर लिया है। नोमान शौक़ सुब्ह-ओ-शाम अपने दश्त-ए-बदन में अपने महबूब को सोचते और लिखते रहते हैं।.