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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Jee chahe tu Sheesha Ban ja

Product Details

Author: Zaheen Shah Taji
Language: Hindi
Publisher: Rekhta Publications
Year: 2023

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About This Book

Abount the Book: ज़हीन शाह ताज़ी के फ़ारसी और उर्दू कलाम का संग्रह "जि चाहे तू शीशा बन जा" पहली बार हिंदी पाठकों के समक्ष आ रहा है, जिस में ज़हीन शाह ताज़ी द्वारा लिखे गए प्रसिद्ध कलाम जैसे हम्द, नात, मंक़बत और रुबाई शामिल हैं. किताब का संपादन सुमन मिश्र ने किया है।

About the Author: ज़हीन शाह ताजी उप-महादीप के एक बड़े सूफ़ी शाइर थे। उनका अस्ल नाम मोहम्मद तासीन था। 1902 में राजस्थान के झुंझुनूँ में पैदा हुए। पिता के विसाल के बाद यूसुफ़ शाह ताजी से मुरीद हुए जो हज़रत बाबा ताजुद्दीन चिशती नागपूरी के मुरीद और ख़लीफ़ा थे। उनकी किताबों में आयात-ए-जमाल, लमहात-ए-जमाल, जमाल-ए-आयत, जमालिस्तान, इजमाल-ए-जमाल, लमआत-ए-जमाल वग़ैरा काफ़ी अहम हैं। उनकी नस्री किताबों में ताजुल औलिया वग़ैरा काफ़ी मशहूर हैं। 1978 में पाकिस्तान में आपका इंतिक़ाल हुआ।

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