aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
Author: | Khalid Javed |
Language: | Hindi |
Publisher: | Rekhta Publications |
Year: | 2024 |
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ऐसे बहुत कम, लगभग नहीं के बराबर उपन्यास होते हैं जिन्हें पढ़ते हुए आप अपनी दुनिया के अँधेरों को अपनी चेतना के उजाले में सिहरते हुए महसूस कर पाते हैं। ‘नेमतख़ाना’ अपने पाठकों को उनकी दुनिया और अस्तित्व को देखने की ऐसी नज़र प्रदान करता है जिससे उन्हें वो काली सच्चाइयाँ दिखाई देने लगती हैं जिनके होने की उन्होंने दूर-दूर तक कल्पना भी नहीं की होगी। ये उपन्यास हमें बताता है कि जिस प्रकार के हम खाने खाते हैं, उसका हमारी तर्ज़-ए-ज़िन्दगी और कार्यशैली पर क्या असर पड़ता है। हिन्दुस्तानी अदब में ऐसे उपन्यास कम ही लिखे गए हैं जो खानों, अलग-अलग तरह के पकवानों और उनसे होने वाले बदलाव जो कि इंसान और उसकी अन्दरूनी दुनिया पर असर-अन्दाज़ होते हैं, पर रौशनी डालते हों। उनमें भी ख़ालिद जावेद जैसे उपन्यासकार कम ही होते हैं जो एक महान उपन्यास की तख़लीक़ कर पाते हैं।