aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
Author: | Author: Jeem Abbasi, Translator Arjumand Aara |
Language: | Hindi |
Publisher: | Rekhta Publication |
Year: | 2024 |
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‘सिंधु’ एक उपन्यास है जो सिंधु घाटी की प्राचीन सभ्यता का एक काल्पनिक वर्णन सामने लाता है। 'सिंधु' की कहानी का तानाबाना लेखक ने बहुत क़ायल करने वाले अन्दाज़ में सहज ढंग से ऐतिहासिक तथ्यों के इर्द-गिर्द बुना है। मोअनजो-दड़ो (या लोकप्रिय मोहन जोदड़ो) के उपलब्ध ऐतिहासिक साक्ष्यों से अवांछित आज़ादी नहीं ली है। सिंधु के साहिली इलाक़े में पनपने वाले सामाजिक जीवन (परंपराएँँ, रहन-सहन) और रोज़गार (खेती-बाड़ी, ईंट-भट्टे) का आपस में तार्किक संबंध है। खुदाई में मिलने वाली मोहरों, बर्तनों, मूर्तियों आदि की बुनियााद पर इस इलाक़े की मान्यताएँँ , रीति-रिवाज और सामाजिक और प्रारंभिक राजनैतिक व्यवस्थाओं की एक दिलकश और मोहक दुनिया इस उपन्याास में उकेरी गई है।
About the Author
जीम अब्बासी (असली नाम मुहम्मद जमील) का जन्म सिंध में नवाबशाह ज़िले के कंडियारो में हुआ था। उनकी प्राथमिक कहानियाँ 2015 में कराची से प्रकाशित होने वाली उर्दू पत्रिका ‘आज’ में प्रकाशित हुईं। कहानियों का एक संग्रह, ‘ज़र्द हथेली’ और पहला उपन्यास ‘रक़्स-नामा’ 2020 में किताबी शक्ल में, ‘आज की किताबें’ के ज़ेर-ए-एहतिमाम प्रकाशित हुए। जीम अब्बासी ने अपनी धार्मिक शिक्षा कंडियारो में हासिल की और वहीं पले-बढ़े, बाद में वो हैदराबाद चले गए। अब वो कराची में ही मुस्तक़िल तौर से रहते हैं।