aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "bearing"
वो सर्व-क़द है मगर बे-गुल-ए-मुराद नहींकि उस शजर पे शगूफ़े समर के देखते हैं
हम तो आए थे अर्ज़-ए-मतलब कोऔर वो एहतिराम कर रहे हैं
इशरत-ए-पारा-ए-दिल ज़ख़्म-ए-तमन्ना खानालज़्ज़त-ए-रीश-ए-जिगर ग़र्क़-ए-नमक-दाँ होना
जलते दियों में जलते घरों जैसी ज़ौ कहाँसरकार रौशनी का मज़ा हम से पूछिए
घटाएँ उठती हैं बरसात होने लगती हैजब आँख भर के फ़लक को किसान देखता है
शफ़क़ धनक महताब घटाएँ तारे नग़्मे बिजली फूलइस दामन में क्या क्या कुछ है दामन हाथ में आए तो
दैर से सू-ए-हरम आया न टुकहम मिज़ाज अपना इधर लाए बहुत
'मजरूह' लिख रहे हैं वो अहल-ए-वफ़ा का नामहम भी खड़े हुए हैं गुनहगार की तरह
मुझ से लगे हैं इश्क़ की अज़्मत को चार चाँदख़ुद हुस्न को गवाह किए जा रहा हूँ मैं
ख़ूबसूरत घटाओं-भरी रात में लुत्फ़ उठाया करो ऐसी बरसात मेंजाम ले कर छलकता हुआ हाथ में मय-कदे में भी इक शब गुज़ारा करो
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